Agriculture Success Story आलुओं में 4 करोड़ का घाटा हुआ तो सोया दूध व पनीर का लगाया प्लांट, टर्नओवर ₹50 लाख
Agriculture Success Story पंजाब के संगरूर जिले के किसान बचित्र सिंह ने आलू की फसल में 4 करोड़ का घाटा होने के बाद सोया दूध और पनीर का प्लांट लगाकर अपनी किस्मत बदल दी। उनकी सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये है और वे 50 लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
संगरूर, पंजाब – किसी ने सच ही कहा है कि संकट ही अवसरों की जननी होती है। संगरूर जिले के देहकलां गांव के किसान बचित्र सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। आलू की फसल में 4 करोड़ रुपए का भारी घाटा होने के बाद, बचित्र सिंह ने हिम्मत नहीं हारी। आर्थिक तंगी और बच्चों की फीस तक चुकाने के लिए संघर्ष के बावजूद, उन्होंने अपने आप को पुनः स्थापित करने का संकल्प लिया। आज बचित्र सिंह सोया दूध और पनीर बनाने के अपने प्लांट से 50 लाख रुपये की सालाना टर्नओवर कर रहे हैं, और 50 लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
घाटे से लेकर कामयाबी तक का सफर
बचित्र सिंह का सफर आसान नहीं था। आलू की फसल में लगातार घाटे के बाद, उन्हें अपनी प्रॉपर्टी बेचने तक की नौबत आ गई थी। जब स्थिति काफी बिगड़ गई, तो एक दिन वे दिल्ली के प्रगति मैदान में किसान मेला देखने गए। वहां उन्हें भोपाल इंस्टीट्यूट द्वारा लगाए गए सोया दूध और पनीर के स्टॉल ने आकर्षित किया। बचित्र ने पूरी जानकारी लेने के बाद सोया उत्पादों में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया।
प्रशिक्षण की चुनौती और सफलता की दिशा
बचित्र सिंह की अंग्रेजी न जानने की वजह से उन्हें ट्रेनिंग के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भोपाल में सोया दूध और पनीर बनाने की ट्रेनिंग के लिए उन्हें सरकारी संस्था आत्मा की मदद से भेजा गया। पांच दिन की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद, माता के निधन की खबर ने उन्हें लौटने पर मजबूर कर दिया। लेकिन अपनी मां की अंतिम रस्में निभाने के बाद, उन्होंने हिम्मत जुटाकर रिश्तेदारों से उधार लेकर सोया दूध और पनीर का प्लांट लगाया।
बढ़ती डिमांड और कारोबार का विस्तार
पहले कुछ असफल प्रयासों के बाद, भोपाल के एक प्रोफेसर की मदद से बचित्र सिंह ने सोया दूध और पनीर बनाने में सफलता हासिल की। अपने उत्पादों की गुणवत्ता और स्वाद को देखते हुए पुलिस लाइन के खिलाड़ियों ने उनका दूध और पनीर खरीदना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनके उत्पाद की मांग बढ़ती गई और अब उनके सोया दूध और पनीर की सप्लाई पंजाब के संगरूर, मालेरकोटला, बरनाला, बठिंडा, पटियाला, लुधियाना, और हरियाणा के कैथल और जींद तक की जा रही है।
राष्ट्रीय पुरस्कार और सामाजिक योगदान
बचित्र सिंह को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उनकी इस पहल से न सिर्फ उन्हें खुद को आर्थिक रूप से संभालने में मदद मिली, बल्कि 50 से अधिक लोगों को रोजगार भी मिल पाया।